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रविवार, 10 नवंबर 2013

सुकीर्ति भटनागर को प्रभा स्मृति बाल साहित्य सम्मान

सुकीर्ति भटनागर को प्रभा स्मृति बाल साहित्य सम्मान 
पत्रिका ‘बाल प्रभा‘ और सुकीर्ति भटनागर तथा नागेश की  पुस्तक का हुआ विमोचन
चित्र मे सर्व श्री अरविन्द मिश्र, तनवीर खां, जिलाधिकारी डा. राजमणि, सुकीर्ति भटनागर,  डा. सुरेंद्र विक्रम
शाहजहांपुर
    गाँधी पुस्तकालय द्वारा चतुर्थ प्रभा स्मृति बाल साहित्य सम्मान इस बार पटियाला, पंजाब की प्रख्यात बाल साहित्यकार सुकीर्ति भटनागर को को प्रदान किया गया।
सम्मान स्वरुप उन्हें प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, अंग वस्त्र, नारियल और तीन हजार एक सौ रूपये की राशि भेंट की गई।
  इस अवसर पर बाल पत्रिका बाल प्रभा के नए अंक का विमोचन भी संपन्न हुआ।

                                            चित्र मे सर्वश्री डा. सुरेंद्र विक्रम,  जिलाधिकारी डा. राजमणि, सुकीर्ति भटनागर, अजय गुप्त, सिद्धान् 
कुलदीप दीपक द्वारा सरस्वती वंदना से प्रारंभ इस समारोह में सर्वप्रथम पुरस्कार एवं सम्मानित लेखिका का परिचय आयोजक कवि अजय गुप्त ने कराया।

मुख्य अतिथि लखनऊ क्रिश्चियन् डिग्री कालेज के हिंदी विभागाध्यक्ष
 प्रख्यात समीक्षक डा. सुरेंद्र विक्रम 
ने कहा कि समाज बहुत तेजी से बदल रहा है। संक्रमण के इस दौर में बच्चों को नैतिक मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करने वाले सही मायनों में देष के भविष्य के हितचिंतक है।
इस मौके पर डा. सुरेंद्र विक्रम का अभिनन्दन किया गया. 

जिलाधिकारी डा. राजमणि यादव ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि सामाजिक परिवर्तन हमेशा उच्चकोटि के साहित्य के माध्यम से ही हुआ है।

विशिष्ट अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष तनवीर खां ने कहा कि पुस्तकालय ने यह पुरस्कार प्रारंभ कर जनपद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। बच्चों को अच्छा साहित्य उपलब्ध कराना समाज का नैतिक दायित्व है।

सम्मानित साहित्यकार सुकीर्ति भटनागर ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिस आत्मीयता और भावना के साथ आज उनका सम्मान किया गया है, उसके लिए उनके पास शब्द नहीं है।

चिंतक कवि अरविन्द मिश्र ने कहा कि हम रोली अक्षत के माध्यम से जब किसी विभूति का सम्मान करते है तो उसकी गंध हमारी अंगुलियों को ही नहीं हमारी आत्मा को भी महका देती है।

समारोह  अध्यक्ष - डा. सत्यप्रकाश् मिश्र ने कहा कि साहित्य सबसे बड़ी पूंजी है जिसे अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए हमें अपनी संतति को हस्तांतरित करना चाहिए। बच्चों के कोमल मन पर जो बात बैठ जाती है, वह आजन्म उनके साथ रहती है।

इस मौके पर सुकीर्ति भटनागर के उपन्यास  अमरो 
और
  नागेश पांडेय ‘संजय’ की पुस्तक जो बूझे वह चतुर सुजान . 
का विमोचन भी सम्पन्न हुआ
बदलते समाज में बाल साहित्य की भूमिका विषय पर संगोष्ठी और बाल कविता पाठ भी संपन्न हुआ।
 समारोह में ओम प्रकाश् अडिग, विजय कुमार, ओंकार मनीषी, डा. राजकुमार शर्मा, अरविन्द मिश्र, दिनेश् रस्तोगी, रामकुमार गुप्त, रघुराज सिंह, निष्चल, देशबंधु, डा. अरशद खान, लल्लन बाबू, डा. साजिद खान, समीर पाठक, रंजना प्रियदर्षिनी, ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, अनूप गुप्त, ब्रजेश् मिश्र, ब्रजेश् पांडे, डा. बलवीर शर्मा, दीपक कंदर्प, आशा गुप्ता, अरविद राज , श्रीकांत मिश्र,  प्रवीण, सुनील, आदि अनेक, वुद्धिजीवी साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
संचालन डा. नागेश पांडेय ‘संजय’ और  आभार  शिवाजी गुप्त ने व्यक्त किया।
                                                              
                                             
अमर उजाला मेँ छ्पा समाचार 



दैनिक जागरण मेँ प्रकाशित समाचार
अमर उजाला ने सुकीर्ति जी का यह साक्षात्कार भी प्रकाशित किया 

                                                            राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित समाचार 
उर्दू के इंकलाब ने भी यह समाचार प्रकाशित किया

      महत्त्वपूर्ण बात यह कि बच्चों ने भी किया कविता पाठ 

आयुशी
सिद्धांत
सृजन